र्भपात यानी अबॉर्शन एक जटिल और संवेदनशील विषय है जिसके लिए सही और सटिक जानकारी ज़रूरी है। हम गर्भपात के अलग-अलग तरीक़ों और इसकी लागत पर चर्चा करेंगे, बांझपन के बारे में चिंताओं को दूर करेंगे, और यह भी बताएंगे कि गर्भपात के बाद अच्छी देखभाल क्यों ज़रूरी है।
भारत में गर्भपात के लिए उपलब्ध तरीक़े:
भारत में, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी (एम.टी.पी.) अधिनियम 1971 कुछ परिस्थितियों में सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात की इजाज़त देता है। गर्भपात पर विचार करते समय पेशेवर चिकित्सा सलाह और मदद लेना ज़रूरी है। यहाँ भारत में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले तरीक़ों के बारे में बताया गया है:
चिकित्सा गर्भपात (मेडिकल अबॉर्शन): चिकित्सा गर्भपात में गर्भ को उसके शुरुआती दौर (10 हफ़्ते तक) में गिराने के लिए मिफ़ेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल जैसी दवाओं का इस्तेमाल शामिल है। इस प्रक्रिया में एक स्वास्थ्य सेवा सलाहकार के बताए गए तरीक़े के मुताबिक़ दवाएं लेनी होती हैं। यह एक सुरक्षित और बिना सर्जरी वाला तरीक़ा है जिसे क्लिनिक या घर पर चिकित्सकीय देखरेख में किया जा सकता है।
सर्जरी से गर्भपात (सर्जिकल अबॉर्शन): सर्जिकल गर्भपात एक योग्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवर करता है। सर्जरी के आम तरीक़ों में शामिल हैं प्रारंभिक गर्भावस्था के लिए मैनुअल वैक्यूम एस्पिरेशन (एम.वी.ए.) या सक्शन क्यूरेटेज और बाद के चरणों के लिए डाइलेशन और इवैक्युएशन (डी. एंड ई.)। ये प्रक्रियाएं आम तौर पर सुरक्षित होती हैं और लाइसेंसधारी स्वास्थ्य केंद्रों में की जाती हैं।
भारत में गर्भपात की लागत:
भारत में गर्भपात की लागत कई चीज़ों पर निर्भर करती है, जैसे गर्भ की आयु, गर्भपात तरीक़ा और स्वास्थ्य केंद्र। निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा संस्थानों की बुनियाद पर भी लागत में अंतर होता है। लागत के बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए स्वास्थ्य सेवा सलाहकारों या प्रजनन स्वास्थ्य सेवा केंद्रों से परामर्श करें।
क्या गर्भपात से बांझपन होता है?
यह एक आम ग़लतफ़हमी है कि गर्भपात से बांझपन होता है। लेकिन सच तो यह है कि जब सुरक्षित तरीक़ों से और प्रशिक्षित पेशेवरों से गर्भपात करवाया जाता है, तो बांझपन का जोखिम बेहद कम रहता है। दूसरी ओर, असुरक्षित गर्भपात से समस्याएं हो सकती हैं जो प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालती हैं। अपने प्रजनन स्वास्थ्य का ख़्याल रखने के लिए और किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए सही चिकित्सा देखभाल हासिल करना बहुत ज़रूरी है।
गर्भपात के बाद देखभाल:
गर्भपात के बाद, शारीरिक और भावनात्मक सहेत के लिए अपना ख़्याल रखना ज़रूरी है। यहाँ कुछ अहम पहलुओं के बारे में बताया गया है:
डॉकटरी सलाह के मुताबिक़ चलें: गर्भपात के बाद, अपने स्वास्थ्य सेवा सलाहकार की दी गई सलाह का पालन करें। इसमें शामिल हैं दवाएं लेना, शारीरिक मेहनत वाले कामों से बचना और फ़ॉलो-अप मुलाक़ातों के लिए जाना।
भावनात्मक मदद: गर्भपात के बाद कई तरह की भावनाएं महसूस करना आम बात है। इस दौरान मदद के लिए दोस्तों, घरवालों या सहायता समूहों का सहारा लें। भावनात्मक मदद और सलाह के लिए भारत में पेशेवर परामर्श सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
जब चिकित्सीय गर्भपात नाकाम होती है:
चिकित्सा गर्भपात आम तौर पर काम करती है, लेकिन कुछ संभावना है कि यह सभी के लिए काम न करे। अगर आपको लगता है कि आपका चिकित्सीय गर्भपात नाकाम हो गया है, तो फ़ौरन अपने स्वास्थ्य सेवा सलाहकार से परामर्श करें। वे आपकी जाँच करेंगे और सही कदम उठाने के बारे में सुझाव देंगे, जिसमें गर्भपात को पूरा करने के लिए सर्जरी शामिल हो सकती है।
सारांश:
भारत में गर्भपात को समझने के लिए प्रक्रिया के क़ानूनी और चिकित्सा प्रावधानों के बारे में जानकारी हासिल करना शामिल है। सुरक्षा को प्राथमिकता देना, पेशेवर चिकित्सा देखभाल हासिल करना और गर्भपात के बाद देखभाल के अहम पहलुओं को मद्देनज़र रखना ज़रूरी है। याद रखें, हर किसी के हालात अलग होते हैं, और आपके निजी मूल्यों, स्वास्थ्य और भलाई से मेल खाने वाले सोचे-समझे फ़ैसले करना ज़रूरी है। अगर आप अपने आप को ऐसी स्थिति में पाती हैं जहाँ आपको मदद चाहिए, तो भारत में उपलब्ध भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवा सलाहकारों, प्रजनन स्वास्थ्य संगठनों या परामर्श सेवाओं का सहारा लें।
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