सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ एक महिला (सरोगेट) किसी अन्य व्यक्ति या जोड़ी (इच्छित माता-पिता) के बच्चे को अपनी कोख में पालती है। यह उन जोड़ियों या व्यक्तियों के लिए एक विकल्प है जो कुदरती तरीक़े या सहायक प्रजनन के अन्य तरीक़ों से गर्भवती होने में असमर्थ रहे हैं। अपने अनुकूल क़ानूनों, कुशल चिकित्सा पेशेवरों और सस्ती लागतों की वजह से भारत सरोगेसी के लिए एक लोकप्रिय जगह रहा है। भारत में सरोगेसी के बारे में सारी जानकारी आपको यहाँ मिल जाएगी।
भारत में सरोगेसी की लागत
सरोगेसी महंगी हो सकती है, और इसका ख़र्चा कई चीज़ों की बुनियाद पर अलग-अलग हो सकता है, जैसे सरोगेसी करवाने वाली क्लिनिक या एजेंसी, ज़रूरत पड़ने वाली चिकित्सा प्रक्रियाएं और सरोगेट को दिया जाने वाला मुआवज़ा। अन्य देशों की तुलना में भारत में सरोगेसी काफ़ी सस्ती है, और इसकी लागत 10 से 25 लाख भारतीय रुपये हो सकती है, शायद इससे ज़्यादा भी। इस लागत में आम तौर पर मेडिकल ख़र्चे, क़ानूनी फ़ीस और सरोगेट माँ को दिया जाने वाला मुआवज़ा शामिल होता है। कुछ क्लिनिक अतिरिक्त सेवाएं भी दे सकते हैं, जैसे अंडे या शुक्राणु का दान, जिससे ख़र्चा बढ़ सकता है।
भारत में सरोगेसी का क़ानून
भारत में सरोगेसी के ख़ास क़ानून और नियम हैं। सरोगेसी को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नियंत्रित करते हैं। 2015 में, भारत सरकार ने उस क़ानून में बदलाव किया जिसमें केवल परोपकारी सरोगेसी की मंज़ूरी है, यानी सरोगेट को मेडिकल ख़र्चों और बीमा की राशि के अलावा कोई भी मुआवज़ा नहीं दिया जा सकता है। व्यावसायिक सरोगेसी, जहाँ सरोगेट माँ को एक फ़ीस दी जाती है, भारत में ग़ैर-क़ानूनी है।
इसके अलावा, इच्छित माता-पिता को भारतीय नागरिक होना चाहिए, उनकी शादी को कम से कम पांच साल हो चुका होना चाहिए, और बांझपन का सबूत होना चाहिए। सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उन्हें उपयुक्त अधिकारियों से आवश्यकता का प्रमाण पत्र और पात्रता का प्रमाण पत्र भी लेना पड़ता है। समलैंगिक जोड़ियाँ और अविवाहित व्यक्ति भारत में सरोगेसी नहीं करवा सकते हैं। गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि सरोगेट माँ की उम्र 21 से 35 साल के बीच होनी चाहिए और उसका कम से कम अपना एक बच्चा होना चाहिए। प्रक्रिया शुरू होने से पहले इच्छित माता-पिता को मेडिकल स्क्रीनिंग और काउंसलिंग भी लेनी होती है।
क़ानूनी माता-पिता
सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे के क़ानूनी माता-पिता का अधिकार सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020 के तहत आता है, जो अभी तक पारित नहीं हुआ है। लेकिन, बिल के मसौदे के अनुसार, इच्छित माता-पिता को जन्म से ही बच्चे के क़ानूनी माता-पिता के रूप में मान्यता दी जाएगी, और सरोगेट माँ का बच्चे पर कोई हक़ नहीं होगा।
निष्कर्ष
सरोगेसी उन जोड़ियों या व्यक्तियों के लिए एक विकल्प है जो कुदरती तरीक़े से या सहायक प्रजनन के अन्य तरीक़ों से गर्भवती होने में असमर्थ रहे हैं। भारत में, सरोगेसी को आई.सी.एम.आर. तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नियंत्रित करते हैं, और व्यावसायिक सरोगेसी ग़ैर-क़ानूनी है। सरोगेसी का इस्तेमाल करने के लिए इच्छित माता-पिता को भारतीय नागरिक होना चाहिए, उनकी शादी को कम से कम पाँच साल हो चुका होना चाहिए, और बांझपन साबित होना चाहिए। सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे के क़ानूनी माता-पिता का अधिकार सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020 के तहत आता है, जो अभी तक पारित नहीं हुआ है। अगर आप भारत में सरोगेसी पर विचार कर रहे हैं, तो पेशेवर मार्गदर्शन लेना और प्रक्रिया के क़ानूनी और वित्तीय दाँव-पेंच को समझना ज़रूरी है।
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